वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनायझेशन (WHO) के मुताबिक मारबर्ग वायरस रोग एक अत्यधिक विषाणुजनित बीमारी है जो रक्तस्रावी बुखार का कारण बनती है, जिसमें मृत्यु दर 88% तक होता है. यह उसी परिवार का वायरस है जिसमें इबोला वायरस रोग होता है.
1967 के दशक में जर्मनी के मारबर्ग और फ्रैंकफर्ट शेहर में इस वायरस के जन्म का पता चलता है. इसिलिए इस वायरस को मारबर्ग शेहर के नाम से संबोधित किया जाता है.
Marburg Virus का प्रकोप युगांडा से आयातित अफ्रीकी हरे बंदरों (सर्कोपिथेकस एथियोप्स) का उपयोग करके प्रयोगशाला के काम से जुड़ा था ऐसा वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनायझेशन का मानना है.
मारबर्ग वायरस रोग का मानवों में संक्रमण गुफाओं में रेहने वाले राउसेटस बैट से हुआ है. जब मानव लंबे समय तक इन गुफाओं में काम करते थे तब यह संक्रमण हुआ होगा ऐसा माना जाता है.
Marburg Virus के लक्षण (marburg virus symptoms)
मारबर्ग वायरस शरीर में 2 से 21 दिन में अपना होस्ट बना लेता है और मारबर्ग वायरस से होने वाली बीमारी और इसके लक्षण अचानक शुरू हो जाते है. मारबर्ग वायरस के लक्षण में शामिल है:
- तेज बुखार,
- तेज सिरदर्द,
- गंभीर अस्वस्थता,
- मांसपेशियों में दर्द और ऐंठन,
- गंभीर पानी वाला दस्त,
- पेट में दर्द,
- मतली और उल्टी तीसरे दिन शुरू हो सकती है.
- गंभीर दस्त एक सप्ताह तक बना रह सकता है.
- लक्षणों की शुरुआत के 2 से 7 दिनों के बीच एक गैर-खुजली वाले रैश को देखा गया है.
कई रोगियों में 7 दिनों के भीतर गंभीर रक्तस्रावी अभिव्यक्तियाँ विकसित होती हैं और घातक मामलों में आमतौर पर शरीर के अक्सर कई क्षेत्रों से रक्तस्राव होता है.
उल्टी और मल में ताजा खून के साथ साथ अक्सर नाक, मसूड़ों और योनि से खून बहता है.
मारबर्ग वायरस कैसे फैलता है?
मारबर्ग संक्रमित लोगों के रक्त, स्राव, अंगों या अन्य शारीरिक तरल पदार्थों के साथ सीधे संपर्क और इन तरल पदार्थों से दूषित सतहों और सामग्रियों के माध्यम से मानव-से-मानव संचरण के माध्यम से फैलता है.
यदी मारबर्ग संक्रमित को शरीर पर कोई घाव है तो ऊस घाव से मारबर्ग वायरस फैलता है. इसिलिए हमेशा किसीं भी चीज को छुने के बाद अपने हाथो को अच्छे से धोना जरुरी है.
संदिग्ध या पुष्ट मारबर्ग वायरस से संक्रमित रोगियों का इलाज करते समय स्वास्थ्य देखभाल कार्यकर्ता जैसे की डॉक्टर को इसके संक्रमण का अधिक खतरा होता है.
मारबर्ग वायरस का निदान कैसे किया जाता है?
मारबर्ग वायरस का निदान निम्न परीक्षण करके किया जाता है:
- एंटीबॉडी-कैप्चर एंजाइम-लिंक्ड इम्युनोसॉरबेंट टेस्ट (एलिसा)
- एंटीजन-कैप्चर डिटेक्शन टेस्ट
- सीरम न्यूट्रलाइजेशन टेस्ट
- रिवर्स ट्रांसक्रिपटेस पोलीमरेज़ चेन रिएक्शन (आरटी-पीसीआर) टेस्ट
- इलेक्ट्रॉन माइक्रोस्कोपी
- सेल कल्चर द्वारा वायरस अलगाव
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